pub-7443694812611045 उदासीनता। (बॉक्स) व्रत की हालत में खुद कर रहे रसोइया का काम छात्र। कल है उन व्रत वाले छात्र का पेपर।। परीक्षाओं के बीच खुद बनाना पड़ रहा है रोटी सब्जी के बच्चों को मामला रन्नौद शासकीय अनुसूचित जन जाति सीनियर बालक छात्रवास का जिसमे बच्चों की क्षमता संख्या 50 बच्चों की है जबकि हाजरी रजिस्टर में 18 बच्चों की प्रजेंट लगी है और कुछ एग्जाम खत्म हो गए है इस लिए मीडिया की पड़ताल में 8 छात्र मिले बो भी बदहाली के भेट चढ़ रहे।। कोलारस अनुविभाग के अंतर्गत आने वाली तहसील रन्नौद के कस्बे में एक छात्रवास है जो कि अपनी बदहाली के लिए काफी समय से चर्चित है परन्तु सुनने वाला कोई नही।। - Agnichakra

उदासीनता। (बॉक्स) व्रत की हालत में खुद कर रहे रसोइया का काम छात्र। कल है उन व्रत वाले छात्र का पेपर।। परीक्षाओं के बीच खुद बनाना पड़ रहा है रोटी सब्जी के बच्चों को मामला रन्नौद शासकीय अनुसूचित जन जाति सीनियर बालक छात्रवास का जिसमे बच्चों की क्षमता संख्या 50 बच्चों की है जबकि हाजरी रजिस्टर में 18 बच्चों की प्रजेंट लगी है और कुछ एग्जाम खत्म हो गए है इस लिए मीडिया की पड़ताल में 8 छात्र मिले बो भी बदहाली के भेट चढ़ रहे।। कोलारस अनुविभाग के अंतर्गत आने वाली तहसील रन्नौद के कस्बे में एक छात्रवास है जो कि अपनी बदहाली के लिए काफी समय से चर्चित है परन्तु सुनने वाला कोई नही।।


उदासीनता।


(बॉक्स) व्रत की हालत में खुद कर रहे रसोइया का काम छात्र।


कल है उन व्रत वाले छात्र का पेपर।।



परीक्षाओं के बीच खुद बनाना पड़ रहा है रोटी सब्जी  के बच्चों को ।।


मामला रन्नौद शासकीय अनुसूचित जन जाति सीनियर बालक छात्रवास का जिसमे बच्चों की  क्षमता संख्या 50 बच्चों की  है।।


जबकि हाजरी रजिस्टर में 18 बच्चों की प्रजेंट लगी है और कुछ एग्जाम खत्म हो गए है इस लिए मीडिया की पड़ताल में 8 छात्र मिले बो भी बदहाली के भेट चढ़ रहे।।।।


कोलारस अनुविभाग के अंतर्गत आने वाली तहसील रन्नौद के कस्बे में एक छात्रवास है जो कि अपनी बदहाली के लिए काफी समय से चर्चित है परन्तु सुनने वाला कोई नही।।।।


आज ही एक मामला फिर से प्रकाश में आया है जहाँ परीक्षाओं का दौर चल रहा है इसी बीच रन्नौद सीनियर छात्रबास के अधीक्षक एवं रसोईया अनुपस्थित मिले बच्चों की शिकायत पर मीडिया ने जाकर बच्चों का हाल जाना तो वहां पर छात्र खाना बनाते नजर आए जबकि यह काम रसोईया का होता है और देख देख रेख का काम या कहें बच्चों को पढ़ाने का काम छात्रावास के अधीक्षक का काम होता है उनके नियम ना बैठने पर  बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।और इसी बीच बालक छात्रवास के छात्र के एग्जाम चल रहे है दो छात्र के व्रत है जो कि लगभग 6 बर्ष से हर सोमवार को व्रत रख कर अपने बड़े बुजुर्ग के बताये हुए बातो पर चल रहे है छात्रो को अपना खाना बनाने के चक्कर में परीक्षाओं की तैयारी बुरी तरीके से बेकार साबित हो रही है ।।।।



किन किन छात्र ने सुनाई अपनी पीड़ा 
जिनके नाम बाल सिंह पुत्र बाबूलाल आदिवासी टीला कला जिनका आज व्रत है , ।।


किरनपाल आदिवासी पुत्र सिरदार सिंह साखनोर इनका भी आज व्रत है, ।।

बॉबी देवल पुत्र लख़्वा आदिवासी रामपुरा ।।

रिंकू आदिवासी पुत्र सुरेश आदिवासी चन्दोरिया ।।

सागर आदिवासी पुत्र कल्लूराम सखनोर।।


रंजीत जाटव पुत्र लखन बड़खेरा ।।

नितेश जाटव पुत्र चिमन्न लाल जाटव बड़खेरा।। 


प्रदीप आदिवासी पुत्र मुन्ना आदिवासी शंकरगढ़



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इनका कहना है आशीष तिवारी कोलारस एसडीएम (आईएएस) 

आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया  में मामले को दिखबा लेता हु जो छात्रो को खाना बनाना पड़ रहा है जो दोषी होगा उस पर कड़ी कार्यवाई की जावेगी।।



इनका कहना है रमेश चन्द्र इंडोलिया  सीनियर छात्रावास अधीक्षक रन्नौद

आप जो मामला बता रहे है वह बात ठीक है मेरा ऑपरेशन हुआ है और रसोइया के ससुर का निधन हो गया है जिसके कारण यह हालत सामने आये  मुझे आज आना था किसी कारण नही अ सका जब पूछा मीडिया ने खाना चाहे जब बनाते नजर आते है तो यह कह कर पड़ला झाड़ दिया जब कू नही है तो बच्चे कर सकते है काम।।

सबाल बच्चे काम करने भर्ती हुए है या फिर काम करने को जबकि अभी हाल ही में परीक्षा का दौर चल रहा है क्या यह बात कहा तक सही होना ठीक है।।



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👇👆सबाल इस बात के खड़े हो रहे है कि जब छात्रो की परीक्षाओं का समय चल रहा है तो इस बीच में छात्रों को कैसे अकेला छोड़ा जा सका और उनका मनोबल भी कम होता दिखाई दिया एक तरफ व्रत की हालत में काम करते बच्चे दूसरी तरफ कल एग्जाम की टेंशन माथे पर सताती नजर आई ✒

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देखना यह होगा कि जिम्मेदारों द्वारा क्या कोई एक्शन लिया जाता है या नहीं या इसी तरह बच्चों को परेशानियों से गुजरना पड़ेगा जबकि शासन द्वारा छात्रावास गरीब लोगों के लिए बनाया गया है के बच्चे पढ़े यहां पर और अधीक्षक और रसोईया रखा जाता है बच्चों को किसी प्रकार का कोई काम करना ना पड़े लेकिन देखने में तो कुछ और नजर आ रहा है

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छात्रावास में गंदगी का आलम यह है कि आप नाक पर रूमाल रखे बगैर खड़े नहीं हो सकते और जरूरतमंद बच्चे यहां रहकर अपना भविष्य तराश रहे हैं.।






इनका कहना है
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  रन्नौद सीनियर बालक छात्रवास यूनियन के अध्यक्ष बाल सिंह आदिवासी ने मीडिया से बात करते हुए बताया की में और मेरा एक साथी लगभग 6 बर्ष से व्रत रखते है आज के व्रत में काफी काम करना पड़ा सुबह थोडा नस्ता करा है 4 बजे तक हमारे प्रजेंट में जो 8 छात्र साथी है उन्होंने खाना नही खाया है कोई नही है इस लिए हमको खाना बनाना पड़ा और जब कोई नही रहता तब भी खाना बनाना पड़ता था और 5 से 10 बर्ष हो गए छात्रवास के हालत जस के तस है सारे  शौचालय गड़बड़ है कई में गेट नहीं है पास में नालियों में गंदगी रहती है इस समय बीमारियों का सामना करना पड़ता है अधीक्षक का कोई ध्यान नहीं रहता रसोईया भी अपनी मनमर्जी पूर्वक खाना बनाते हैं चाहे जब गोल हो जाते हैं।





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