pub-7443694812611045 गरीबों के लिये मुसीबत में सहारा बन रही संबल योजना प्रदेश शासन के सुपरवाइजरो।कहा - Agnichakra

गरीबों के लिये मुसीबत में सहारा बन रही संबल योजना प्रदेश शासन के सुपरवाइजरो।कहा




भोपाल गरीबों के लिये मुसीबत में सहारा बन रही संबल योजना प्रदेश के गरीब परिवारों के लिये अचानक आने वाली विपत्ति में मुख्यमंत्री जन-कल्याण (संबल) योजना की सहायता राशि बहुत बड़ा सहारा बन रही है। योजना में हर तरह की विपत्ति में सहायता के लिये धन राशि निश्चित कर दी गई है। सरकार का मैदानी अमला ऐसी खबर मिलते ही संबंधित परिवार के पास पहुँचकर सहायता राशि उपलब्ध करवा रहा है।बड़वानी के कृष्णकांत चतुर्वेदी ऑटो चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे। पत्नी श्वेता 7 जून, 2018 की सुबह जब अपने पति को रोज की तरह चाय के लिये उठाने गईं, तो उनकी मृत्यु हो चुकी थी। ऐसे में श्वेता और उनके परिवारपर अचानक दु:ख का पहाड़ ही टूट पड़ा। दूर-दूर तक कोई राहत नजर नहीं आ रही थी। ऐसे में बेसहारा परिवार का सहारा बनी संबल योजना। बड़वानी नगर पालिका ने श्वेता को योजना में तत्काल 5 हजार रुपये की अंत्येष्टि सहायता दी। इस राशि से वह अपने पति का क्रियाकर्म विधि-विधान के अनुसार कर सकीं।श्वेता के सामने अचानक परिवार के भरण-पोषण और बच्चों की पढ़ाई की समस्या आ खड़ी हुई थी। वह इतनी पढ़ी-लिखी भी नहीं थी कि कहीं नौकरी कर सके। ऐसे में 4 अगस्त को हुए जिला-स्तरीय हितग्राही सम्मेलन में श्वेता को संबल योजना में 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि भी मिली। श्वेता कहती हैं इस संकट की घड़ी में मिले 2 लाख रुपये मेरे परिवार के लिये अमूल्य हैं।अशोकनगर के ग्राम पीपलखेड़ा की पपीताबाई के पति प्रेमनारायण अहिरवार का भी आकस्मिक निधन होने से परिवार सदमे के साथ आर्थिक मुसीबत में पड़ गया था। संबल योजना में पपीताबाई को अंत्येष्टि के लिये 5 हजार रुपये के साथ परिवार के भरण-पोषण आदि के लिये 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि भी मिल गई है।बड़वानी में अंजड़ के 26 वर्षीय राजेश चौहान संबल योजना के कारण ही अपने कूल्हे के जोड़ का ऑपरेशन करवाकर अपने पैरों पर वापस खड़े होने का सपना संजो रहे हैं। राजेश अपने माता-पिता और बहन सहित 6 लोगों के परिवार का गुजर-बसर के लिये जिनिंग फैक्ट्री में हम्माली करते हैं। पिता चने का ठेला लगाते हैं। घर मुख्य रूप से राजेश ही चलाते हैं। ऐसे में एक दिन गिरने से उसके कूल्हे की हड्डी टूट गई। ऑपरेशन के लिये 80 हजार रुपये की दरकार थी। परिवार हताश हो गया, तब सहारा बनी संबल योजना।पंजीकृत श्रमिक होने के कारण राजेश का सरकारी खर्चे पर महाराजा यशवंत राव अस्पताल, इंदौर में ऑपरेशन हुआ। राजेश के लिये संबल योजना दैवीय सहायता से कम नहीं है। राजेश की पत्नी की दूसरी डिलेवरी होने पर 16 हजार रुपये की सहायता भी एक माह पहले ही मिली है। अगर यह सहायता न मिली होती तो राजेश के परिवार के लिये जच्चा-बच्चा की देखभाल भी मुश्किल हो जाती।

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