भाजपा के लिए एमपी और राजस्थान में बागी नेता बने सिरदर्द।
नई दिल्ली। आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने एक दूसरे को कड़ी टक्कर देने के लिए कमर कस ली है, क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि इन नतीजों का असर 2019 लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. ऐसे में हाल ही में कांग्रेस के लिए एक परेशान करने वाली खबर तब आयी जब मायावती ने छत्तीसगढ़ में अजित जोगी के साथ चुनाव में जाने का फैसला किया तबसे कांग्रेस पार्टी इस कोशिश में है कि किसी तरह पार्टी मध्य प्रदेश और राजस्थान में दूसरे दलों को साथ लाए लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो भी पार्टी को ऐसा लगता है कि वो यहां अच्छा करेगी. उधर चुनाव से पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश में एंटी इनकंबेंसी झेल रही बीजेपी को अपने ही एक के बाद एकझटके दे रहे हैं.शुक्रवार को रीवा के पूर्व विधायक पुष्पराज सिंह ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. पूर्व विधायक पुष्पराज सिंह ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में शुक्रवार को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर कहा- रीवा के वरिष्ठ नेता श्री पुष्पराज सिंह जी नेआज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष पार्टी में वापसी की. पुष्पराज सिंह जी का कांग्रेस परिवार में पुन: स्वागत है.दरअसल, पुष्पराज सिंह 2008 से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे, पुष्पराज सिंह कांग्रेस के कार्यकाल में मंत्री भी रह चुके हैं. हालांकि, बाद में वे 2008 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये थे. पुष्पराज सिंह महाराजा मार्तंड के बेटे हैं और वर्तमान में सिरमौर से बीजेपी विधायक दिव्यराज सिंह के पिता हैं. इसे मध्य प्रदेश में बीजेपी के लिए दूसरा बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले कटनी जिले की पद्मा शुक्ला ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी.इस तरह पार्टी बदलने वाले भाजपा की परेशानियां बढ़ा रहे हैंइससे पहले मध्यप्रदेश समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष पद्मा शुक्ला ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखकर उन्होंने अपना इस्तीफा दिया. अपनी चि_ी में उन्होंने लिखा है कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद जिस तरह से उनकी उपेक्षा की गई उसकी वजह से वह इस्तीफा दे रही हैं. बता दें किपद्मा शुक्ला को राज्य में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था. पद्मा वर्ष 2013 में भाजपा के उम्मीदवार के तौरपर विजयराघवगढ़ से 900 वोटों से हार गयी थीं.उधर, राजस्थान में भी पार्टी से नाराज नेताओं ने बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं. पिछले कुछ समय से नाराज चल रहे शिव सीट से विधायक मानवेंद्र सिंह ने आखिरकार बीजेपी को अलविदा कह दिया है. मानवेंद्र सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रीमंडल में केंद्रीय मंत्री रहे जसवंत सिंह के बेटेहैं. मानवेन्द्र ने प्रदेश से वसुंधरा सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कही है. उनके बीजेपी छोडऩे से लाभ-हानि का आकलन फि़लहाल जल्दबाजी होगा लेकिन मानवेन्द्र ने साफ कहा है कि वे लोक सभा का चुनाव बारमेर सीट से लड़ेंगे जहां सेउनके पिता लड़ा करते थे. ऐसा माना माना जा रहा है कि वे अपनीपत्नी चित्रा सिंह को शिव सीट से विधानसभा का चुनाव लड़वा सकते हैं. बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने उनकेपिता जसवंत सिंह को टिकट नहीं दिया था.एससी/एसटी ऐक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के बाद बने हालात को लेकर सवर्ण वर्ग की नाराजगी दूर करने की कोशिशों में जुटी बीजेपी के लिए ये नेता सिरदर्द बन सकते हैं क्योंकि ये सभी सवर्ण समाजसे आते हैं जो अपने क्षेत्र और समाज में पकड़ रखते हैं लेकिन इनसे पार्टी को कितना नुकसान होगा ये तो वक़्त ही बतयगा.
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