pub-7443694812611045 ऐतिहासिक प्राचीन कुए को किसी न किसी दिन बड़े हादसे के साथ किया जा सकता है कलाकिंत। जिम्मेदारों का नही कोई ध्यान।✒ - Agnichakra

ऐतिहासिक प्राचीन कुए को किसी न किसी दिन बड़े हादसे के साथ किया जा सकता है कलाकिंत। जिम्मेदारों का नही कोई ध्यान।✒







अग्निचक्र मीडिया हॉउस रन्नौद मोहम्मद फरहान काजी/  कोलारस अनुविभाग के अंतर्गत आने वाली तहसील रन्नौद के हाई स्कूल के समीप लगा कुआ जिसमे दिन व दिन प्राचीनता खो रहा है और नही है कोई कुए के आस पास पुख्ता इंतेजमात लगा रहता है हादसे का भय काफी समय पहले थी कुए के आस पीस बाउंड्री थी परन्तु पूरी तरह से जर्जर हो कर एक प्राचीन कुआ खंडर में तब्दील होता नजर अ रहा है।और न कोई ऊपर जाली है बल्कि सुना है कि उक्त प्राचीन कुए को पुरे तरह नष्ठ करने का स्कूल परिसर के सदस्य गढ़ द्वारा प्रयास किया जा रहा है परन्तु जरा सी हिकामत नही दिखा पा रहा है बुजुर्ग लोगो का कहना है पुरानी ऐतिहासिक चीजों को बढ़ाना सवारना चाहिए  क्योंकि इन प्राचीन चीजो से कई जगह सुंदरीकरण का एक रूप देती हैं जिसे नष्ट करने की वजह उसको अच्छे देखभाल कर रखना चाहिए


स्कूल के जिम्मेदाराना के ढीले रवैये के चलते कुआ पुराओ की कगार पर अ गया और कम गहरा कुआ देख बच्चे आये दिन खेल कूद के बहाने से गेंद उठा ने चले जाते है इस बीच कुए के ऊपर बच्चों का जम -बड़ा लगा रहता है और कोई बड़े हादसे से परहेज नही किया जा सकता है।



अब देखने वाली बात यह कि उक्त ऐतिहासिक  धरोहर को बढ़ाया जाता है या फिर जब बक्त मिले उक्त बक्त में प्राचीन कुए को नष्ठ कर के रखा जाता है।।



सरकार लाखो रुपया खर्च करती है कि जो ऐतिहासिक चीजें हैं वहीं के  वहीं बनी रहे वह और अच्छे उनकी देखभाल की जाए इसलिए लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं परंतु यहां तो ऐतिहासिक धरोहर को देखा तक नहीं जाता।।





ऐसे कई बड़े दरवाजे छोटे-छोटे मठ एवं गढ़ी है जो अपने आप में आंसू बहा रहे हैं ।।।


पूर्व में काफी बारिश होने के कारण दो दरवाजे के ऊपर की दीवारें जर्जर हो कर गिर गई थी जिनको रन्नौद सरपंच बिर्जेश कुशवाह द्वारा पूरा ऊपर से सफाया करबा दिया और ऐतिहासिक धरोहर की एक- एक पत्थर चलते कर दिए गए परंतु किसी ने आवाज तक नहीं उठाई।।



 स्कूल के पीछे मन्दिर के पास बड़े बड़े पेड़ो को काट कर हरयाली को भी खत्म करने की कगार पर ला के छोड़ दिया।।



 कुए में पहले थी एक लम्बी सुरंग जिसमे निचे से घोड़े पानी पीने तक आते थे लेकिन जैसे जैसे नई पीढ़ियों ने जन्म लिया तो कई ऐतिहासिक धरोहर को देखा नहीं गया जबकि पूरी सीढ़ियां को नष्ठ किया गया।।

पूर्व में डिप्टी कलेक्टर ने मौका मुआयना किया था और कड़े निर्देश दिए थे नतीजे में जीरो ।।

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