पर्व:- हजारो हाथ उठे अमन चेन की दुआ के लिए ईदगाह पर हुई बिशेष नमाज ईदुल अजहा रन्नौद:- हर बर्ष की भांति इस बार भी बड़े हर्ष उल्लास से ईदुल अजहा मनाई। मुस्लिम बन्धुओ ने एक दूसरे को गले मिल कर दी बधाई।
पर्व:-
हजारो हाथ उठे अमन चेन की दुआ के लिए
ईदगाह पर हुई बिशेष नमाज ईदुल अजहा
रन्नौद:- हर बर्ष की भांति इस बार भी बड़े हर्ष उल्लास से ईदुल अजहा मनाई।
मुस्लिम बन्धुओ ने एक दूसरे को गले मिल कर दी बधाई।
रन्नौद । कोलारस अनुविभाग के अतर्गत आने वाली तहसील रन्नौद ।नगर में हर बर्ष की भाँति इस बार भी ईद की नमाज अदा कराइ गई।
शहर काजी साहब के पुत्र हाफिज मोहम्मद फैजान काजी साहब ने ईद की नमाज अता कराई यह सिलसिला काफी लम्बे अर्से से चली अ रही परमपरा है ।
कोलारस, बदरवास, लुकवासा, खतौरा, रन्नौद सहित कोलारस विधानसभा क्षेत्र में बडे ही धूम धाम से ईद उल अजहा का त्यौहार मनाया गया।
वहीं मोहम्मद हाफिज फैजान काजी ने ईद की नमाज पढाई। काफी तादात में मुस्लिम समुदायक के लोगो ने पहले तो शांति पूर्वक के साथ नमाज अदा की फिर सभी ने एक दूसरे को गले मिल कर ईद की दिली मुबारक बाद दी ।
काजी साहब ने सभी मुस्लिम भाईयों को ईद की मुबारक बाद देते हुये एक सन्देश दिया ऐसी मुस्लिम गले मिल कर भाई चारे एकता कायम रखते हो ऐसी ही भाई चारा हिन्दुओ भाई के साथ किया करो काजी साहब ने बताया इस्लाम धर्म कभी किसी से बेर रखना नही सिखाता है।
मोहम्मद फरहान ने भी एक दूसरे को ईद की मुबारक दी बाद में फिर फरहान काजी के लिए मुबारक बाद का सिलसिला जारी रहा।
इस मोके पर तमाम मुस्लिम बन्धु मोजूद रहे।
ईद की नमाज के बाद से ही क़ुरबानी का सिलसिला जारी रहा यह सिलसिला लगभग 3 दिन तक यह पर्व जारी रहता है।
यह पर्व हजरत इब्राहिम अलैहि सलाम के खास बेठे हजरत इस्माइल अलैहि सलाम
की क़ुरबानी मांगी गई थी अल्लाह तबारक तआला ने पर वह यह खास चीज को कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए लेकिन उस मालिक ए खालिक को यह मंजूर न था लेकिन नवी ए पाक की आजमाइश का दौर जारी था। और उन्होंने अपने बेटे को निहाला दूल्हा कर क़ुरबानी के लिए ले गए जब आँख बन्द कर क के छुरी सर पर रखी और उठा कर सर पर फिर रखने वाले थे तभी सातो आसमान चीर कर अल्लाह ने एक भेड़ को हजरत इस्माइल अलैहि सलाम की जगह अ कर खड़ा कर दिया गया और जब सर धड़ से अलग था तब पता चला कि अल्लाह ने उनके नेक बेटे को कुर्बान नही किया उसकी जगह यह मेड़ा की क़ुरबानी हुई और उस दिन से बकरा आदि अनेक जानवर की क़ुरबानी मुकर्रर फ़रमाई गई और यह दौर लगभग 1400 साल से अधिक समय से यह पर्व की परम्परा तारीके से पर्व मनाया आता जा रहा है






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