pub-7443694812611045 प्रेस नोट :- सामाजिक छवि धूमिल करने वालो पर लिया यू टर्न, एसडीपीआई जिला अध्यक्ष ने बताया क्या है सही क्या गलत ,देखे पूरी ख़बर - Agnichakra

प्रेस नोट :- सामाजिक छवि धूमिल करने वालो पर लिया यू टर्न, एसडीपीआई जिला अध्यक्ष ने बताया क्या है सही क्या गलत ,देखे पूरी ख़बर

 



सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के जिला अध्यक्ष एवं प्रदेश सचिव को pfi का सदस्य बताना घिनौनी राजनीति का हिस्सा शिवपुरी में,।।


साफ छवि वाले आदिल शिबानी व मोहम्मद आरिफ पीएफआई के सदस्य नही है।। 


पीएफआई के सदस्य बताने वालो को इस बात का , खंडन करना आवश्यक है।




शिवपुरी@ : राजनीति समाज सेवा का बेहतरीन माध्ययम है। तो वहीं लोकतंत्र का अति महत्वपूर्ण स्तंभ भी है, क्या कीजिए जब राजनीति ऐश और आराम का सामान बन जाती है तो नागरिकों के अधिकार और उनके स्वाभिमान को निगलने से भी गुरेज नहीं करती।यूँ तो भारत एक लोकतांत्रिक देश रहा है, जिसकी अनेकता में एकता की मिसाल दुनियां भर में दी जाती रही हैं।परन्तु कुछ सालों में देखने में आ रहा है कि सत्ता धारी दल और उनके मातहत किसी भी विपक्षीय दल को, या उनके नेताओं को किसी भी स्तर तक ज़लील करने में नहीं चूकते।





आज इसी तरह का एक नोटिस जिसे माननीय न्यायालय ने देश भर के राजनैतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भेज कर सरकार के द्वारा प्रतिबंधित संगठन pfi के सम्बंध में जानकारी चाही गई थी, जिसे शिवपुरी पुलिस प्रशासन ने आदिल शीबानी जिलाध्यक्ष शिवपुरी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इण्डिया  और अब्दुल आरिफ़ खान प्रदेश सचिव सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया दोनों ही नेताओं को जारी किया गया जिसमें माननीय न्यालय ने ये जानने की कोशिश की क्या प्रतिबंधित संगठन पर प्रतिबंध लगाना उचित है या अनुचित है!इस तरह के नोटिस के माध्यम से न्यालय जनता का मत देखना चाहती है, परंतु यदि नोटिस का जवाब देने वाला व्यक्ति अपनी कोई टिप्पणी नहीं देना चाहता तो वो स्वतंत्र है।उसे किसी भी प्रकार का टॉर्चर या दबाव नहीं दिया जा सकता।



बताया गया कि, अब इस नोटिस के बाद जिसमें दोनों ही नेताओं के नाम माननीय न्यायालय की तरफ से दर्ज नहीं हैं  जो जिला प्रशासन की तरफ से दिए गए है उनके आधार पर pfi का सदस्य कैसे लिखा गया ये निंदनीय है, और पार्टी की छवि को धूमिल करने और भय का वातावरण उत्पन्न करने का प्रयास है जिसकी हम घोर निंदा करते हैं।आशा है कि मीडिया द्वारा भी बिना तफ्तीश के समाचार प्रकाशन पर रोक लगाना चाहिए।



बता दे कि ,हम दोनों ही नेताओं का pfi से कभी कोई संबंध नहीं रहा है न ही हम लोग उस संगठन के बारे में कोई मालूमात रखते हैं, हम राजनीति में समाज सेवा के इरादे से और लोकतंत्र की रक्षा के लिए समर्पित भाव से काम करते रहे हैं।हमारे द्वारा पार्टी के किये जाने वाले हर कार्य की सूचना हम प्रशासन को देते आए हैं।और हर कार्यक्रम सार्वजनिक तौर पर करते रहे हैं।इस तरह की खबरें प्रकाशित कर के मेरी सामाजिक और राजनैतिक छवि को धूमिल करने तथा कार्यकर्ताओं व आम जन में भय पैदा करने के उद्देश्य से ये समाचार प्रकाशित किए जा रहे हैं ,जिनका कोई आधार नहीं है।जिन समाचार पत्रों एवं वेब पोर्टल ने जल्दबाज़ी में या जान बूझ कर मेरे स्टेटमेंट के बिना ये समाचार प्रकाशित किया है उन्हें इसका खंडन छापना चाहिए और हमारी मांग है कि हमें एस डी पी आई के  कार्यकर्ता के नाम से ही संबोधित करे और प्रतिबंधित संगठन पी एफ आई के साथ हमें जोड़ कर सम्बोधित या प्रकाशित न किया जाए।अन्यथा हमें कानूनी कार्यवाही करने पर विवश होना पड़ेगा।


संलग्न दस्तावेज़ 1. पार्टी का रजिस्ट्रेशन 2. मुख्य चुनाव आयुक्त भारत सरकार के द्वारा खंडन किए गए समाचार की प्रतिलिपि, जिसमे पी एफ आई एवं एस डी पी आई दोनों के किसी भी प्रकर के संबंधों से इनकार किया गया है।

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.