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समस्या :- समय से पहले बंद हो जाता है स्कूल :-कई शिक्षक तो नही आते नियमित स्कूल विकास खण्ड बदरवास के अनेक स्कूल अथिति शिक्षक के भरोसे चल रहै विद्यालय, छात्रों का भविष्य अंधकार में।जिम्मेदार मोन👈84 छात्र छात्राओ को 35 से 40 के बीच में रोटी और सब्जी तो इतनी थी अगर एक लाइन में 10 से 15 बच्चों को परोश की जाये तो उनको भी पूरी नही हो सकती बाकी के बचे बालक बालिकाओ 49से 44 बच्चों को क्या पानी से खाना खिलाया जायेगा जाता है खाना प्रति दिन जिम्मेदार द्वारा आखिर क्यों ली नही जाती खाने की पुख्ता जानकरी क्या ऑफिस में या घर में बैठने की वेतन ली जाती है।जल्द कोई एक्शन लेना होगा जिला शिक्षा विभाग के महकमे को।
समस्या :- समय से पहले बंद हो जाता है स्कूल :-कई शिक्षक तो नही आते नियमित स्कूल विकास खण्ड बदरवास के अनेक स्कूल अथिति शिक्षक के भरोसे चल रहै विद्यालय, छात्रों का भविष्य अंधकार में।जिम्मेदार मोन👈84 छात्र छात्राओ को 35 से 40 के बीच में रोटी और सब्जी तो इतनी थी अगर एक लाइन में 10 से 15 बच्चों को परोश की जाये तो उनको भी पूरी नही हो सकती बाकी के बचे बालक बालिकाओ 49से 44 बच्चों को क्या पानी से खाना खिलाया जायेगा जाता है खाना प्रति दिन जिम्मेदार द्वारा आखिर क्यों ली नही जाती खाने की पुख्ता जानकरी क्या ऑफिस में या घर में बैठने की वेतन ली जाती है।जल्द कोई एक्शन लेना होगा जिला शिक्षा विभाग के महकमे को।
समस्या :-
समय से पहले बंद हो जाता है स्कूल :-कई शिक्षक तो नही आते नियमित स्कूल
विकास खण्ड बदरवास के अनेक स्कूल अथिति शिक्षक के भरोसे चल रहै विद्यालय, छात्रों का भविष्य अंधकार में।जिम्मेदार मोन
84 छात्र छात्राओ को 35 से 40 के बीच में रोटी और सब्जी तो इतनी थी अगर एक लाइन में 10 से 15 बच्चों को परोश की जाये तो उनको भी पूरी नही हो सकती।
बाकी के बचे बालक बालिकाओ 49से 44 बच्चों को क्या पानी से खाना खिलाया जायेगा जाता है।खाना प्रति दिन जिम्मेदार द्वारा आखिर क्यों ली नही जाती खाने की पुख्ता जानकरी।
क्या ऑफिस में या घर में बैठने की वेतन ली जाती है।जल्द कोई एक्शन लेना होगा जिला शिक्षा विभाग के महकमे को।
रन्नौद / शिवपुरी अंचल बिशेष रिपोर्ट :- रन्नौद संकुल केंद्र के अंतर्गत आने वाले कई स्कूल ऐसे है जो कि अपनी दुर दशा पर आशु जम कर बहाये जा रहे है।
जिनमे न तो स्कूल खुलने का समय निर्धारित है न बन्द होने का समय निर्धारित है परन्तु एक चीज तो ऐसी मन माफिक निर्धारित कर रखी है जिसकी कल्पना भी नही कि जा सकती।
हम बात कर रहे संकुल के अनेक शिक्षक की जो कभी कभार स्कूल आते और जब मर्जी बनी तब उठ कर चलते बन दिए और उक्त स्कूलो में न ठीक इंतेजाम है न सामान जानकारी सही चस्पा है ।
जबकि यह बड़ा ही गम्भीर मामला है कारण यह कि जिम्मेदार द्वारा स्कूल चेक किये जाते है अपनी जेब गर्म करके चले जाते है स्कूल में क्या सही है क्या गलत है इसका सायद कभी नही देखा होगा जिम्मदरो ने ।
मीडिया हॉउस टीम को ग्रामीणों से शिकायत मिली की ठाठी के शा. मा. वि. के कई शिक्षक ऐसे है जैसे की कोई मंत्री साथ उठक बैठक हो इनको किसी का भय नही है तभी तो स्कूल नही आते है ओर और टीम ने जायजा लिया तो हकीकत में तीन शिक्षक नही मिले गोविन्द श्रीवास्तव, नरेंद्र कुमार, मिश्रा, राम कुमार सूर्यवंशी, न कोई जबाब मिला एक शिक्षक से कॉल पर बात हुई तो मन गढ़न कहानी बना कऱ कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया ।
स्कूल परिसर में न तो एक भी पौधा मिला न स्कूल में गेट की कोई पुख्ता इंतेजाम मिले इस समय बीमारी का प्रकोप भी फेल रहा है और गन्दगी का अम्बार लगा उक्त बाते सामने देख यह तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश के प्रधान मंत्री जी के सामनो को पतीला लगाने में शासकीय कर्मचारी का मुख्य रोल दिखाई दे रहा है जब सरकार के कर्मचारी सरकार के सपनो को ही साकार करने की बजह उनका भंडा धार करने में लगे ठाठी स्कूल शिक्षक ।
एक शिक्षक ने नाम छापते हुए बताया कि
शासकीय माध्यमिक विद्यालय मेघोना स्कूल में आज भी किराये के शिक्षक के सहारे स्कूल संचालित हो रहा है।
शासकीय माध्यमिक विद्यालय मेघोना स्कूल में आज भी किराये के शिक्षक के सहारे स्कूल संचालित हो रहा है।
और आलम यह कि शासकीय माध्यमिक विद्यालय मेघोना डांग समय से पहले ही बंद हो जाता है। यहां केवल अतिथि शिक्षक के ही भरोसे छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।
ऐसे में कैसे छात्रों का भविष्य बनेगा। ग्रामीणों ने इस बात की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से भी की, लेकिन आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। शिक्षकों के नियमित न आने से छात्र-छात्राएं ट्यूशन लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं तो कई ने स्कूल ही छोड़ प्रायवेट स्कूल में दाखिला ले लिया है।
वहीं ग्रामीण ग्रामीण पूरन, खेरू जाटव ने बताया कि यहां पदस्थ शिक्षकों को पहले अनियमितता बरतने पर सस्पेंड कर दिया था, लेकिन बाद में ही उन्हीं शिक्षकों को यहां पदस्थ कर दिया गया है।
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ऐसा ही मीडिया हॉउस टीम ने विकास खण्ड बदरवास के तहत आने वाले शासकीय हाईस्कूल दीवान की बामौर में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है समय से पहले स्कूल बंद हो जाने के नतीजे में बच्चों को घर लौटना पड़ता है। वे ठीक से पढ़ाई नहीं कर पा रहे। नाम न छापने की शर्त पर अभिभावकों ने बताया कि यहां महिला शिक्षक सहित अन्य शिक्षक पदस्थ हैं जो समय से स्कूल नहीं आते और बाद में समय से पहले घर चले जाते हैं, ।
जिसके कारण बच्चे ठीक से नहीं पढ़ पा रहे। स्कूल परिसर में गेट भी नहीं हैं जिसके नतीजे में मवेशी प्रवेश कर जाते हैं और स्कूल में भीषण गंदगी रहती है। इसी गंदगी के बीच बच्चों को बैठकर पढ़ना होता है।
शासकीय मा विद्यालय दीवान की बामौर में तो सुरेन्द्र पाठक का आये दिन का यह आलम है 11 के बाद आना और 2 बजे हद् तक अगर किसी की आने की खबर लग गई तो 2 बज कर 45 मिनिट तक समय सिमित है उसके बाद तो जाना ही पड़ता है चाहे कोई आये या जाये कोई मतलव नही लगता है सभी अधिकारी को माननीय शिक्षक महोदय अपनी जेब में रख कर चलते है ऐसा कई बार हुआ लेकिन जिम्मेदार ने आज तक कोई कार्यवाही नही कि
अंत में मीडिया हॉउस को बार बार शिकयत मिली उक्त स्कूल माड़ा गणेश खेड़ा पर देखा तो हकीकत में स्कूल बन्द मिला और शिक्षक महोदय तो दबंग है जब बहार से आकर पड़ा रहे शिक्षक ने गांव के ही सरपंच पर एफ आई आर करा दी तो सोचो बच्चों में क्या भय रखते होंगे ।
क्षेत्रीय नेताओ ने व गांव की जनता ने मीडिया पर भरोसा जताते हुए कहा है आप ही इस मुद्दा को उठाये और शिक्षको नियमित केंद्र पर बैठने की कार्यवाई कर बाए जिससे बच्चों का भविष्य सुधरे।
एक ढेकुआ स्कूल भी शासन द्वारा समय निर्धारित पर बन्द मिला अब क्या कुछ कार्यवाई करते हे इतने स्कूल की अनिमितये पर यह बड़ा ही बे चिदा सबाल है।














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