pub-7443694812611045 शासकीय महाविद्यालय रन्नोद में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार कार्यक्रम आयोजित ,।। - Agnichakra

शासकीय महाविद्यालय रन्नोद में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार कार्यक्रम आयोजित ,।।

 




रन्नौद - शिवपुरी ।। उच्च शिक्षा विभाग, मध्यप्रदेश शासन, भोपाल के निर्देशानुसार शासकीय महाविद्यालय रन्नौद में भारतीय ज्ञान परंपरा वर्तमान में प्रासंगिकता विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित किया गया।


तीन विषय विशेषज्ञों ने कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए सर्वप्रथम श्री अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर के संस्कृत विभाग की अध्यक्ष एवं भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ. संगीता मेहता ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया।।



बता दे कि भारतीय ज्ञान परंपरा की गौरवशाली विरासत से श्रोताओं को परिचित कराया। दूसरे वक्ता डॉ. मुनेश कुमार सहायक प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ (उत्तर प्रदेश) ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत की गौरवपूर्ण ज्ञान परंपरा से आधुनिक शिक्षा के स्वरूप में परिवर्तन कर देश की दिशा एवं दशा में बदलाव लाया जा सकता है।।कार्यक्रम के अंतिम वक्ता प्रो. मनमोहन कृष्ण, सहायक प्राध्यापक एवं अध्यक्ष, इतिहास विभाग, पूर्णिया महाविद्यालय (बिहार) ने भारतीय ज्ञान परंपरा की वर्तमान प्रासंगिकता संबंधी अपने विचार व्यक्त किये।



 कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. कीर्ति सिंह कुशवाह ने की एवं प्राचार्य महोदय नें बताया कि भारतीय ज्ञान वेदों, उपनिषदों, स्मृतियों, लोककथाओं और पारंपरिक प्रथाओं से समृद्ध है, जो शासन, नैतिकता पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक संरचना और आध्यात्मिक ज्ञान सहित विभिन्न विषयों को समाहित करती है। ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद न केवल धार्मिक ग्रंथ हैं, बल्कि इनमें विज्ञान, गणित,चिकित्सा,खगोलशास्त्र और दर्शन के गहरे बीज भी निहित हैं महाभारत, रामायण, मनुस्मृति, कौटिल्य का अर्थशास्त्र, चरक और सुश्रुत संहिता जैसे ग्रंथों ने राजनीति, समाजशास्त्र, अर्थव्यवस्था और चिकित्सा विज्ञान में अद्वितीय योगदान दिया।



इन ग्रंथों में पुरातन में ही नवीनता निहित है। भारत की सामाजिक संरचना — वर्ण, आश्रम, जाति, परिवार, ग्राम व्यवस्था, धर्म और कर्तव्य जैसे सिद्धांत — सभी भारतीय ज्ञान प्रणालियों में निहित थे और समाज के संतुलन एवं संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वर्तमान युग में जब मानव सभ्यता तकनीकी प्रगति, उपभोक्तावाद और वैश्वीकरण की ओर तीव्र गति से अग्रसर है, तब भारतीय ज्ञान परंपरा कई प्रकार की चुनौतियों से जूझ रही है। जिसका समाधान शिक्षा में समावेश,अनुवाद और डिजिटलीकरण,स्थानीय भाषाओं का प्रोत्साहन,आध्यात्मिक पुनर्जागरण सांस्कृतिक चेतना का विकास किया जा सकता है ।।




मंच संचालन डॉ. रहीश अली खां ने किया। ऑनलाइन कार्यक्रम में विभिन्न महाविद्यालयों से प्राचार्य, प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। डॉ. कुमार रत्नम, अतिरिक्त संचालक, ग्वालियर- चंबल संभाग, ग्वालियर के मुख्य संरक्षण एवं डॉ. पवन कुमार श्रीवास्तव, प्राचार्य, शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, शिवपुरी के आतिथ्य में कार्यक्रम भलीभांति संपन्न हुआ।




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